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23 मगर कुछ दिन पहले तो वह केवल प्रेम के आधार पर ही अपनी जिंदगी गुजार रही थी। अभी भी प्रेम है मगर नगण्य।उसको शफीक का फोन आने के बाद ऐसा ही लग रहा था।वह जब सवेरे-सवेरे नहाने जा रही थी तभी शफीक का फोन आया था। उस समय बच्चे स्कूल चले गए थे। कूकी ने यह सोचकर कि अनिकेत उड़ीसा अपने गाँव पहुँच गया होगा, दौड़कर फोन उठाया। मगर वह फोन अनिकेत का नहीं था। उस तरफ से शफीक की आवाज आ रही थी।कूकी को शफीक की आवाज सुनकर आश्चर्य होने लगा । अगले ही पल में उसका आश्चर्य खुशी में तब्दील हो गया।उसकी आँखें एक लंबे अर्से के बाद रुखसाना संबोधन सुनकर भर आई थी। शफीक की आवाज सुने शायद तीन-चार महीने बीत चुके थे । आवाज में अभी भी वही सम्मोहन शक्ति थी । शांत स्वर में वह कहने लगा था, "रुखसाना, कैसी हो बेबी ?" "शफीक, माई गॉड। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।" कूकी का गला भर आया था। उसका पूरा शरीर एर अद्भुत सी उत्तेजना में काँप रहा था। "बेबी, तुमने मेल चेक किया ? मेरा ई-मेल मिला ?" "तुमने ई-मेल किया था ? मुझे तो अभी